भारतीय सरकारी बॉन्ड जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल हुए Indian government bonds inclusion in jp morgan index
भारतीय सरकारी बॉन्ड्स के जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल होने से भारत सरकार को 20 से 25 बिलियन डॉलर अगले 10 महीनों में निवेश के रूप में मिलने की उम्मीद है। इससे भारतीय सरकारी बॉन्ड्स की साख अंतराष्ट्रीय स्तर बढ़ेगी और भारत में डॉलर के रूप में अधिक से अधिक निवेश प्राप्त होगा।
Cp lakhera
6/29/20241 मिनट पढ़ें
भारतीय सरकारी बॉन्ड जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल हुए
28 को जून दुनिया भर में ट्रैक किये जाने वाले जेपी मॉर्गन इमर्जिंग इंडेक्स में भारतीय सरकारी बॉन्ड को शामिल किया गया है। इस इंडेक्स में भारतीय बॉन्ड्स को 10 प्रतिशत का वेटेज दिया जायेगा। आइये जानते हैं विस्तार से-
क्या है जेपी मॉर्गन इंडेक्स?what is jp morgan index?
अमेरिका में स्थापित जेपी मॉर्गन सूचकांक, दुनिया के विकसित और उभरते हुए बाजारों की परिसंपत्तियों (assets) को शामिल करने वाला एक ग्लोबल इंडेक्स है, जिसके अंदर विभिन्न परिसंपत्तियों की श्रेणियों हेतु इंडेक्स शामिल हैं जैसे-उभरते बाजार सूचकांक, विकसित बाजार सूचकांक, क्रेडिट सूचकांक आदि। इस इंडेक्स में विभिन्न देशों के बॉन्ड्स शामिल किये जाते हैं, जिससे उन देशों के बॉन्ड्स को दुनिया भर के निवेशकों द्वारा निवेश प्राप्त होता है।
बॉन्ड्स क्या हैं?what is bonds?
अगर किसी कंपनी या सरकार को पैसों की आवश्यकता है तो वह तीन तरीकों से धन जुटा सकती है, पहला बैंक से लोन लेकर, दूसरा शेयर मार्केट में लिस्टिंग के माध्यम से, तीसरा बॉन्ड्स जारी करके। बैंक से लोन पर अधिक ब्याज देना पड़ता है और शेयर मार्केट में कुछ शेयर प्रतिशत, निवेशकों के लिए छोड़ना पड़ता है। अब आतें हैं बॉन्ड्स पर, बॉन्ड्स पर ब्याज प्रतिशत बैंकों से कम होता है। इस तरह, इन्हें जारी करके कोई कंपनी या सरकार कम ब्याज दर पर निवेश (पैसा) प्राप्त करती है। बॉन्ड एक प्रकार का ऋण है, जिसे खरीदकर आप, जारी करने वाले को ऋण प्रदान करते हैं बदले में वह आपको ब्याज सहित दिया गया ऋण वापस करने का वादा करता है।
उदाहरण के लिए कोई सरकार यदि 10 साल का बॉन्ड जारी करती है, जिसका अंकित मूल्य 10,000 है और उस पर वार्षिक ब्याज दर 8 प्रतिशत है। तो यदि आप उस बॉन्ड को खरीदते हैं तो आप जारीकर्ता को 10000 ऋण दे रहे हैं, जिस पर वह आपको हर वर्ष 10 वर्ष तक 8 प्रतिशत ब्याज देगा और maturity date पूरी होने पर दिया गया ऋण भी वापस करेगा। इस तरह जितने लोग बॉन्ड खरीदेंगे, उतना निवेश, ऋण के रूप में, जारी करने वाले को प्राप्त होता है। मुख्य रूप से सरकारी बॉन्ड्स की अवधि 5 से लेकर 40 वर्ष तक की होती है।
जो बॉन्ड्स किसी कंपनी द्वारा जारी किये जाते हैं उन्हें कॉरपोरेट बान्ड तथा जो किसी सरकार द्वारा जारी किये जाते हैं उन्हें सरकारी या गवर्नमेंट बॉन्ड कहते हैं। निवेशकों के लिए बॉन्ड्स में पैसा लगाना, एफडी से अधिक ब्याज पाने और शेयर मार्केट में पैसा लगाने के जोखिमों के बीच का एक विकल्प है, जिसमें एक फिक्सड इंट्रेस्ट उन्हें प्राप्त होता है।
जेपी मॉर्गन इंडेक्स में भारतीय सरकारी बॉन्ड के शामिल होने से क्या लाभ है? What is mean of indian government bonds inclusion in jp morgan index?
जेपी मॉर्गन एमर्जिंग इंडेक्स में भारतीय सरकारी बॉन्ड्स को 10 प्रतिशत तक का वेटेज दिया जायेगा। ये बॉन्ड 31 मार्च 2025 तक के लिए यानी अगले 10 महीने के लिए मॉर्गन इंडेक्स में शामिल किए जायेंगें , जिससे प्रत्येक महीने 2 से 2.50 बिलियन डॉलर यानी अगले 10 महीनों में 20 से 25 बिलियन डॉलर इन बॉन्ड्स से भारत सरकार को मिलने की उम्मीद है।
साथ ही ग्लोबल इंडेक्स में शामिल होने से निवेशकों का उन बॉन्ड्स में विश्वास बढ़ता है, जिससे वे खुलकर निवेश करते हैं और बॉन्ड्स की ब्रांड वैल्यू तथा रेटिंग बढ़ती है, जिससे बॉन्ड्स पर कम interest देना पड़ता है। जैसे USA अन्य देशों की तुलना में अपने बॉन्ड्स पर कम interest देता है, फिर भी उसके बॉन्ड्स पर अन्य की तुलना में अधिक निवेश प्राप्त होता है क्योंकि उसके बॉन्ड्स की रेटिंग ज्यादा है अर्थात USA की अर्थव्यस्था पर निवेशकों को अधिक विश्वास है कि उन्हें बॉन्ड्स पर घोषित फिक्स्ड रिटर्न मिल जायेगा। जेपी मॉर्गन इंडेक्स में शामिल होने पर भारतीय बॉन्ड्स को भी इस तरह के लाभ हो सकते हैं। घरेलू एवं बाहरी निवेश मिलने से भारतीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी।
इस इंडेक्स में भारत सरकार के 23 बॉन्ड्स को शामिल किया जाएगा, जिनकी कुल वैल्यू 27 लाख करोड़ यानी 330 बिलियन डॉलर के बराबर है। जेपी मॉर्गन के अनुसार केवल उन्हीं सलेक्टेड बॉन्ड्स को शामिल किया जाएगा जो हमारे मानकों के अनुसार फिट बैठते हैं।
भारत को कैसे मिली एंट्री?
दरअसल रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद जेपी मॉर्गन द्वारा इस इंडेक्स से रूस को बाहर कर दिया गया था। रूस के बाहर होने से खाली हुई जगह पर भारत को इसमें शामिल किया गया है। इसके लिए भारत काफी समय से कोशिश भी कर रहा था।