भारत में लोकसभा चुनाव 2024
भारत का चुनावी पर्व
cplakhera
6/13/20241 मिनट पढ़ें
भारत में 18वीं लोकसभा के गठन हेतु 543 सीटों पर चुनाव प्रक्रिया 19 अप्रैल से 01 जून 2024 तक 07 चरणों में सम्पन्न हुयी
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानि एनडीए को 292 सीटें (मुख्य पार्टियां भाजपा-240, टीडपी-16, जेडीयू-12,) इंडिया गठबंधन को 234 (मुख्य पार्टियां कांग्रेस-99, सपा-37, टीमसी-29,डीएमके-22,आरजेडी-04,आप-03), जबकि अन्य को 17 सीटों पर जीत मिली है। बहुमत का आंकड़ा 272 है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 09 जून 2024 को अपने तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण किया। इसी के साथ वो श्री जवाहर लाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बनने वाले दूसरे नेता है।
लोकसभा चुनाव 2024 में रिकॉर्ड 96.88 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे, जिसमें से कुल 63.73 करोड यानि 65.79 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया।
इस लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के इंदौर में नोटा (इनमें से कोई नहीं विकल्प) को 02 लाख से अधिक वोट मिले, जो किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को मिले सर्वाधिक वोट हैं, यह एक उल्लेखनीय परिणाम है। भाजपा के शंकर लखवानी ने 11.72 लाख वोटों से जीत दर्ज की, जबकि दूसरे नंबर पर नोटा रहा जबकि कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे।
भाजपा चुनाव प्रचार अभियान पर 100 करोड़ खर्च करने वाली पहली पार्टी बन गयी है।
जेल में बंद दो प्रत्याशी, अमृतपाल सिंह ने पंजाब के खंडूर साहिब से तथा शेख अब्दुल ‘इंजीनियर’ ने जम्मू कश्मीर के बारामुल्ला से जीत दर्ज की।
उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामें के हिसाब से टीडीपी के चंद्रशेखर पेम्मासानी 5700 करोड़ की संपत्ति के साथ सबसे अमीर तथा बंगाल से भाजपा के ज्योतिर्मय सिंह महतो 5 लाख की संपत्ति के साथ सबसे गरीब प्रत्याशी थे।
भाजपा केरल से एक सीट जीतने में सफल रही जबकि तमिलनाडु में एक सीट भी जीतने में असफल रही।
सबसे अधिक अंतर से जीतने वाले प्रत्याशी भाजपा के शंकर लालवानी हैं जिन्होंने मध्यप्रदेश के इंदौर से 11.72 लाख के अंतर से जीत दर्ज की जबकि शिवसेना के रवींद्र दत्ताराम वाइकर ने मुंबई, उत्तर पश्चिम से सबसे कम अंतर सिर्फ 48 वोटों से जीत दर्ज की।
लोकसभा चुनाव 2024 में 7 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव जीता।
इसके साथ ही 72 महिला सांसदों ने चुनाव जीता है, जोकि 2019 की तुलना में 4 कम है।
वर्तमान लोकसभा के चुनाव के साथ-साथ चार राज्यों- आंध्र प्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, उड़ीसा व सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी संपन्न हुए।
सबसे ज्यादा मतदान असम में 81.56 प्रतिशत तथा सबसे कम मतदान बिहार में 56.19 प्रतिशत रहा है।
ऐतिहासिक तथ्य
1. भारत में पहले लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच आयोजित किये गये थे, जिसमें देश भर में (जम्मू कश्मीर को छोड़कर) 17.32 करोड़ मतदाता पंजीकृत हुए, जिनमें 45 प्रतिशत महिलाएं थीं।
2. यह पहली बार था जब सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का प्रयोग किया गया था, जिसमें 21 वर्ष से अधिक आयु के 17 करोड़ से अधिक मतदाता थे (मतदान की आयु 61वें संविधान संशोधन अधिनियम 1989 द्वारा 18 वर्ष की गयी थी)।
3. भारत में ईवीएम का सर्वप्रथम उपयोग 1982 में केरल में किया गया था।
4. केंद्र में सर्वप्रथम गठबंधन की सरकार 1977 में जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी थी, जिसमें मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया था। यह देश की पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी, जो 1979 तक चली। सरकार में गृह मंत्री रहे चौधरी चरण सिंह ने पार्टी से अलग होकर नई पार्टी जनता पार्टी (सेक्युलर) बनाकर अलग हो गये, जिससे सरकार गिर गई और चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के बाहर से समर्थन से प्रधानमंत्री बन गये किंतु जब नयी सरकार के बहुमत के लिए संसद सत्र बुलाया गया तो कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। इस तरह यह सरकार सिर्फ 23 दिन तक चली। 1980 में फिर मध्यावधि चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस वापस सत्ता में आयी।
5. भारत में नोटा का सर्वप्रथम प्रयोग 2013 में पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, दिल्ली और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में किया गया था। अगर किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा को सबसे ज्यादा वोट मिलते हैं तो दूसरे सबसे ज्यादा वोट पाने वाले प्रत्याशी को विजेता घोषित कर दिया जाता है। अतः नोटा को दिये गये वोट नतीजों में नहीं बदलते। हरियाणा नगर निकाय चुनाव में नोटा को एक काल्पनिक उम्मीदवार माना गया है।