Three New Criminal laws तीन नए आपराधिक कानून लागू

01 जुलाई 2024 से भारत में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गयें हैं, जिन्हें न्याय संहिता के नाम से जाना जाएगा। इन नए कानूनों के जरिये न्याय को त्वरित, सुलभ और कुशल बनाने का प्रयास किया गया है

cp lakhera

7/2/20241 मिनट पढ़ें

तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, 01 जुलाई 2024 से लागू हो गये। इन कानूनों का उद्देश्य सभी के लिए अधिक सुलभ, सहायक और कुशल न्याय प्रणाली बनाना है। आइये जानते हैं-

नए आपराधिक कानून क्या हैं?

संसद के शीतकालीन सत्र दिसम्बर 2023 के दौरान इन नए कानूनों को पास किया गया था। ब्रिटिश कॉलोनियन समय के आपराधिक कानून, जो कि दण्ड संहिता के नाम से जाने जाते थे, अब नए कानून ‘न्याय संहिता’ के नाम से जाने जाऐंगे। इसके अंतर्गत तीन पुराने कानूनों को बदला गया है-

1. सीआरपीसी, 1973- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023

2. द इंडियन एविडेंस एक्ट, 1873- भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023

3. इंडियन पीनल कोड 1860- भारतीय न्याय संहिता, 2023

क्या होंगे बदलाव?

  • जीरो FIR- इसके तहत किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध स्थल किसी भी थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आता हो, बाद में एफआईआर को उस थाना में ट्रांसफर कर दिया जाएगा जहां का वह मामला है, ताकि कानूनी कार्यवाही में किसी तरह की देर न हो। साथ ही एफआईआर की एक कॉपी शिकायतकर्ता को दी जाएगी,

  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन- अब पुलिस शिकायत ऑनलाइन दर्ज की जा सकती है

  • वीडियोग्राफी-सभी जघन्य अपराधों के अपराध स्थल की विडीयोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि सबूतों के साथ-साथ छेड़छाड़ न हो और जांच पड़ताल को मजबूती मिल सके।

  • e-summons- कोर्ट द्वारा सभी समन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजे जा सकेंगे।

  • त्वरित न्याय प्रक्रिया- इसके अंतर्गत पहली सुनवाई से लेकर 60 दिन के अंदर पुलिस को आरोपी पर धाराएं निर्धारित करनी होंगी और धाराएं निर्धारित होने के पश्चात, सभी ट्रायल खत्म होने के 45 दिनों के अंदर कोर्ट को निर्णय सुनाना होगा।

  • महिलाओं और बच्चों के प्रति जो संवेदनशील अपराध हैं उनमें पीड़ित के बयान रिकॉर्ड करने से लेकर अन्य जांच, महिला पुलिस अधिकारी द्वारा की जायेगी साथ ही मेडिकल रिपोर्ट को त्वरित निकाला जाएगा।

  • नये उभरते अपराधों जैसे- शादी का गलत झांसा देना, नाबालिगों से गैंग रेप और मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा किया गया अपराध) के लिए भी इस नए कानून में प्राविधान किये गये हैं।

  • इन नए कानूनों में आतंकवाद की परिभाषा को आर्थिक सुरक्षा के साथ जोड़कर शामिल किया गया है।

  • भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत आईपीसी के 511 सेक्शन को घटाकर 358 कर दिया गया है।

  • साथ ही कोर्ट के निर्णयों या निर्देशों/आदेशों को आम जनमानस भी समझ सके, इसके लिए भाषा को सरल समझने योग्य बनाया जायेगा।

विपक्ष द्वारा विरोध

  • विपक्ष ने कहा है कि नए कानूनों में पुलिस कस्टडी को 15 से बढ़ाकर 60-90 दिन तक कर दिया गया है, जिससे पुलिस द्वारा आरोपी को गलत तरीके से ट्रीट करने के अवसर बढ़ सकते हैं। अतः इसको बदलने की आवश्यकता है।

  • इसके अलावा इन कानूनों में पुलिस को छूट दी गयी है कि वह आरोपी पर सामान्य कानून के तहत अथवा यूएपीए के तहत भी कार्यवाही कर सकती है। यूएपीए यानि अन लॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट के तहत बेल मिलना मुश्किल होता है। अतः पुलिस इस अधिकार का दुरूपयोग भी कर सकती है।

  • साथ ही इन कानूनों में जो आतंकवाद की नई परिभाषा दी गयी है तथा जो संगठित अपराध के लिए इसमें शब्द इस्तेमाल किए गए हैं, उनका इस्तेमाल करके पुलिस कानूनों का दुरूपयोग भी कर सकती है

  • विपक्ष का कहना है कि इन कानूनों का निर्माण करते समय समग्र रूप से चर्चा की जानी चाहिए थी, जो कि नहीं की गयी और कानूनों का लागू कर दिया गया है अतः पुनः सरकार इस पर विचार करे।

वकीलों में विभाजन की स्थिति?

नए कानूनों को लेकर वकील वकील विभाजन की स्थिति में हैं, कुछ का कहना है कि अगर किसी ने अपराध 01 जुलाई से पहले किया है और एफआईआर 01 जुलाई या उसके बाद दायर होती है तो उस पर पुराने कानूनों के तहत कार्यवाही की जाएगी, जबकि कुछ का कहना है कि चूंकि एफआईआर नए कानून लागू होने के बाद दायर की गयी है तो नए कानूनों के तहत कार्यवाही की जाएगी।

इसके साथ ही इन कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी गयी है कि इन्हें लागू होने से रोका जाए।